Mon Profile

activesand

Dernier login: 14 years ago
Skinner depuis: 15 years ago
Pays/Region: Haridwar
Sexe: Masculin
Age: 37

Anonymous Identity

Plus a mon sujet

Relation: Celibataire
Modele de portable: Nokia n72
Operateur GSM: Vodaphone, Aircell
Occupation: student of B, Tech
Companies: Fith cute girls
Ecoles: D, I, T, Dehradun
J'adore: friendship with cute and smart girls
Je deteste: fake persons
Musique Favorite: simple
Film Favoris: wanted, sholey
Livre Favoris: romantic story
Vedette favorite: beer
To find someone similar? Click the tags above!

My Photos

You need to sign in first before view photo of your friend!

Mes abonnes

Be the first one to subscribe to me!

Recent VisitorsMore >>

  • < 13
    years
  • < 14
    years
  • < 14
    years
  • < 14
    years
  • < 14
    years
  • < 14
    years
  • < 14
    years

Qui emploie mes skin?More >>

No record yet
Sandeep Rajput 09759344700 , 09808601801: became a engineer and a famous person

OwnSkin In-A-Box


a propos de moi

हम गरम खून के उबाल हैं राजपूतों की ऐसी कहानी है , कि राजपूत ही राजपूत कि निशानी है | हम जब आये तो तुमको एहसास था , कि कोई एक शेर मेरे पास था || हम गरम खून के उबाल हैं , प्यासी नदियों की चाल हैं , हमारी गर्जना विन्ध्य पर्वतों से टकराती है और हिमालय की चोटी तक जाती है | हम थक कर बैठेने वाले रड बांकुर नहीं ठाकुर हैं .... गर्व है हमें जिस माँ के पूत हैं , जीतो क्यूंकि हम राजपूत हैं || शूरबाहूषु लोकोऽयं लम्बते पुत्रवत् सदा । तस्मात् सर्वास्ववस्थासु शूरः सम्मानमर्हित।। न िह शौर्यात् परं िकंचित् ित्रलोकेषु िवधते। चढ़ चेतक पर तलवार उठा, रखता था भूतल पानी को। राणा प्रताप सिर काट काट, करता था सफल जवानी को॥ कलकल बहती थी रणगंगा, अरिदल को डूब नहाने को। तलवार वीर की नाव बनी, चटपट उस पार लगाने को॥ वैरी दल को ललकार गिरी, वह नागिन सी फुफकार गिरी। था शोर मौत से बचो बचो, तलवार गिरी तलवार गिरी॥ पैदल, हयदल, गजदल में, छप छप करती वह निकल गई। क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर, देखो चम-चम वह निकल गई॥ क्षण इधर गई क्षण उधर गई, क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई। था प्रलय चमकती जिधर गई, क्षण शोर हो गया किधर गई॥ लहराती थी सिर काट काट, बलखाती थी भू पाट पाट। बिखराती अवयव बाट बाट, तनती थी लोहू चाट चाट॥ क्षण भीषण हलचल मचा मचा, राणा कर की तलवार बढ़ी। था शोर रक्त पीने को यह, रण-चंडी जीभ पसार बढ़ी॥कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं . एक दोस्त है कच्चा पक्का सा , एक झूठ है आधा सच्चा सा . जज़्बात को ढके एक पर्दा बस , एक बहाना है अच्छा अच्छा सा . जीवन का एक ऐसा साथी है , जो दूर हो के पास नहीं . कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं . हवा का एक सुहाना झोंका है , कभी नाज़ुक तो कभी तुफानो सा . शक्ल देख कर जो नज़रें झुका ले , कभी अपना तो कभी बेगानों सा . जिंदगी का एक ऐसा हमसफ़र , जो समंदर है , पर दिल को प्यास नहीं . कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं , तुम कह देना कोई ख़ास नहीं . एक साथी जो अनकही कुछ बातें कह जाता है , यादों में जिसका एक धुंधला चेहरा रह जाता है . यूँ तो उसके न होने का कुछ गम नहीं , पर कभी - कभी आँखों से आंसू बन के बह जाता है . यूँ रहता तो मेरे तसव्वुर में

Mon guestbook (0) Signer guestbook

Be the first one to sign my guestbook!
Nous Contacter. | Blog | Translation | Conditions d'utilisation | Respect de la vie prive

沪ICP备06061508号
Copyright © 2006 OwnSkin.com    
-
Loading content
There is a problem with loading the content.